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Tuesday, 21 September 2021

पक्षी परिचय "काली गर्दन वाला सारंग या लोहा-सारंग या बनारस जांघिल" Introduction to the Bird "Black-necked Stork"

 

काली गर्दन वाला सारंग या लोहा-सारंग या बनारस जांघिल, कार्बेट राष्ट्रीय उद्यान उत्तराखंड
Black-necked Stork, Corbett National Park, Uttarkhand, India


              काली गर्दन वाला सारंग या लोहा-सारंग या बनारस जांघिल एक लंबे पैरों और बड़े पंख वाला पक्षी है, जो पांच फीट तक लंबा हो सकता है, और अपने लंबे पैरों (भारतीय पक्षियों की लंबी प्रजातियों में से एक) और दूर से काली दिखने वाली चमकदार मोर की तरह हरी नीली गर्दन से आसानी से पहचाना जा सकता है, इसका नाम थोड़ा भ्रामक है, क्योंकि पक्षी की गर्दन केवल खराब या कम प्रकाश में ही काली दिखाई देती है पर वास्तविकता में चमकीली हरी नीली होती है। इसके काले और सफेद शरीर की परत, चमकदार गहरे हरे और बैंगनी नीली रंग की गर्दन और बड़ा काला चोंच होता है। पैर लंबे और मूंगा-गुलाबी लाल रंग के होते हैं। मादा अपने पीले रंग के आंखों की पुतलियों (आईरिस) से अलग पहचान में आती है जबकि नर में यह पुतलियां लाल रंग के होते हैं । अपरिपक्व पक्षी वयस्कों से मिलते जुलते दिखते हैं, लेकिन काले पंख हल्का पीला, भूरे रंग का होता है। और सफेद पंख सांवले होते हैं। (किशोरों को वयस्क जैसे सुंदर पंख प्राप्त करने में दो से तीन वर्ष लगते हैं )। ये लोहा सारंग पंछी मछली, ईल, कैटफ़िश, छोटे सांप, मेंढक, केकड़े, झींगे, मोलस्क, भृंग, अन्य आर्थ्रोपोड, छोटे पानी के पक्षी, मीठे पानी में रहने वाले कछुए और उनके अंडे, छोटे क्रस्टेशियंस और उभयचरों को अपना भोजन बनाते हैं। शिकार को तेजी से या झटके से अपने बड़े चोंच से बड़ी छलांग लगाकर या हवा में छलांग लगाकर पकड़ लेते हैं। काली गर्दन वाला यह सारंग जांघिल की एकमात्र प्रजाति है जो ऑस्ट्रेलिया में दक्षिण पूर्व एशिया से अलग आबादी के साथ पाई जाती है। इस प्रजाति को ऑस्ट्रेलिया में जबीरू भी कहा जाता है। काले गले वाले सारंग के जोड़े कई वर्षों तक सारस (क्रेन) की तरह वफादार जोड़ा बनाते हैं, शायद जीवन भर के लिए। किसी ऊंची पेड़ या मानव निर्मित टावर पर घोंसला 150 सेंटीमीटर व्यास तक का, छोटी लकड़ियों, छड़ियों और अन्य वनस्पतियों से बना एक बड़ा मंच होता है, इनका घोंसला बनाने का स्थान ऊंचे पेड़ या टावर पर दलदली आर्द्रभूमि (स्वस्थ वेटलैंड) के आसपास ही बना होता है। कुछ घोंसले पारंपरिक होते हैं और एक ही जोड़े द्वारा वर्षों तक बार-बार उपयोग किए जाते हैं। जहां अन्य सारस और छीछले पानी में भोजन ढूंढने वाले (वेडिंग) पक्षी प्रजनन के लिए बड़ी कॉलोनियां बनाते हैं, यह पक्षी शर्मीला और एकांतप्रिय होता है और अलग-अलग जोड़े घोंसला दलदली भूमि में स्थित ऊंचे पेड़ जो दूर दूर बनाते हैं । सामान्यता एक पेड़ पर एक ही घोंसला होता है। प्रजनन मौसम में प्रेमालाप प्रदर्शन आपस में एक दूसरे की तरफ झुक कर तथा अपनी चोंच से चटकदार आवाज निकाल कर करते हैं। अंडे सफेद और शंक्वाकार (eliptical) होते हैं और अंडो को माता-पिता दोनों के द्वारा सेया (ऊष्मायन) किया जाता है। माता-पिता दोनों ही बच्चों की देखभाल करते हैं। ऑस्ट्रेलिया में मुख्य रूप से अगस्त से दिसंबर और अप्रैल से जून में भारत के विभिन्न हिस्सों में प्रजनन के मौसम की जानकारी दर्ज की गई है। सामान्य रूप से एक बार में 2 से 4 अंडे देते हैं, 110-120 दिनों की लंबी अवधि तक इनकी देखभाल की जाती है। सबसे पुराना ज्ञात काली गर्दन वाला लोहा सारंग (कैद में) लगभग 34 वर्ष की आयु तक का था ।

            The black-necked stork is a large wading bird that is up to five feet tall and can easily identified by its long legs (one of the tall species of Indian birds) and striking glossy peacock-green neck that appears black from distance, its name is a little misleading, as the bird’s neck is black in only with poor or shadowed views. It has black and white body plumage, glossy dark green and purple neck and massive black bill. The legs are long and coral-pinkish red in colour. The female is distinguished by its yellow irises while the male has red. Immature birds resemble adults, but the black plumage is replaced by pale, brown and the white plumage is duskier. (Juveniles take two to three years to acquire adult plumage). These Stork feeds on fish, eels, catfish, small snakes, frogs, crabs, prawns, molluscs, beetles, other arthropods, small water birds, freshwater hatchling turtles and their eggs, small crustaceans and amphibians. Prey is caught by the bird jabbing and seizing it with its large bill, they are caught by lunging forward with a large stride or by leaping into the air. The Black-necked Stork is the only species of stork that occurs in Australia with disjunct population from south east Asia. This species has also been called the Jabiru in Australia. Pairs of Black-necked Stork bond for several years like sarus cranes, perhaps for life. The nest is a large platform up to 150 cm diameter of sticks and other vegetation, which is placed in a tall tree standing in or marshy wetlands. Some nests are traditional and used repeatedly for years by the same pair. While other storks and wading birds forms large colonies for breeding, this bird is shy and secretive and nest in isolated pairs. There is little courtship, with the exception of some bowing and clapping of bills. The eggs are white and conical and are incubated by both parents. Both parents care for the young. Breeding season reported mainly in different parts of India in August to December and April to June in Australia. Clutch size normally 2 to 4, fledging reported of long duration as 110–120 days. Oldest known captive black-necked stork is about 34 years old.
          




आकार

Size

मध्यम बड़े
Medium-large
130-150 cm tall
+ गिद्ध से बड़ा
+ vulture and bigger
वयस्कों का वजन
Adult’s weight
1900-4000g
पंखों का फैलाव
Wing span
190-230cm
आबादी
Population
कम घनी
Small
आवास
Habitat
अनछुए मीठे पानी की आर्द्रभूमि या जलमय (वेटलैंड्स) भूमि जैसे कि स्वस्थ बड़े उथले दलदलों वाली नदियों के बाढ़ के मैदान और पानी के स्थायी निकाय।
Undisturbed freshwater wetlands, such as floodplains of rivers with healthy large shallow swamps and deeper permanent bodies of water.
वर्गीकरण
Classification
अन्य जांघिल, घोंगिला, कोकड़ा
Other storks
संरक्षण स्थिति
आईयूसीएन 3.1
Conservation Status IUCN 3.1


NT


पारिस्थितिक महत्व -
              दलदली आर्द्रभूमि (वेटलैंड्स) भारत के सभी पारिस्थितिक तंत्रों में सबसे अधिक नाजुक, कमजोर और संकटग्रस्त है। वनस्पतियों का नुकसान, उथली आर्द्रभूमि से जल निकासी और उनका सूख जाना, लवणीकरण, अत्यधिक बाढ़, जल प्रदूषण, आक्रामक प्रजातियों का विस्तार, अत्यधिक विकास और सड़क और अन्य निर्माण, इत्यादि सभी ने देश की आर्द्रभूमि को अत्याधिक नुकसान पहुंचाया है। जैसा कि हम जानते हैं कि काली गर्दन वाला लोहा सारंग पक्षी स्थानीय होता है, और उसे बहुत अधिक स्थान की आवश्यकता होती है, वह केवल स्वस्थ, अनछुए, एकांत मीठे पानी की आर्द्रभूमि में रहना पसंद करता है, जैसे कि स्वस्थ बड़े उथले दलदल या बड़ी आर्द्रभूमि के साथ नदियों के बाढ़ के मैदान। काली गर्दन वाला लोहा सारंग शर्मीला और एकांतवास पसंद करता है और विशाल, जीवंत दलदल में रहने के बावजूद लगभग 10 वर्ग किलोमीटर क्षेत्र में केवल 5-6 जोड़ी काली गर्दन वाले सारस पाए जाते हैं। इस पक्षी का क्षेत्र व्यापक रूप से बिखरा हुआ होता है और यह अधिक घनत्व में कहीं भी नहीं पाया जाता है। प्रत्येक जोड़ा एक दूसरे से 1000-1500 मीटर की दूरी पर रहता है, इस प्रकार के 100 वर्ग किलोमीटर की एक अनछुए दलदली भूमि की कल्पना करें (जो भारत में वर्तमान स्थिति में संभव नहीं लगता है, स्थायी जल-जमाव क्षेत्र को छोड़कर केवल कुछ ही ऐसे बड़े आर्द्रभूमि उप्लब्ध हैं) जिसमें हम 250 से अधिक पंछियों को नहीं ढूंढ सकते हैं। यह अनुमान लगाया गया है कि श्रीलंका में आबादी लगभग 50 पक्षियों तक ही सीमित हो गई है, जबकि थाईलैंड, म्यांमार, लाओस और कंबोडिया में यह पक्षी प्रजाति बहुत दुर्लभ हो गई है। इसके अलावा पक्षियों में जोड़ों के बीच भी क्षेत्रीय झगड़े आम हैं, जिनमें से प्रत्येक अपने क्षेत्र की रक्षा करता है और अपनी ही प्रजाति के अतिचारियों, घुसपैठिए का पीछा कर भगा देता है । जब एक जोड़ा बनता है, तो यह किसी भी स्थिति में अपने क्षेत्र की रक्षा करता है, क्योंकि इसे अपने 2-4 बच्चों को पालने के लिए बहुत सारे भोजन की आवश्यकता होती है। यह बड़ा पक्षी आम तौर पर छोटे आर्द्रभूमि में नहीं पाया जाता था, जहां अन्य छीछले पानी में रहने वाली प्रजातियां पनप सकती हैं। एक राजा की तरह, भव्य पक्षी लोहा सारंग को बहुत अधिक स्थान की आवश्यकता होती है, जहां वह मछली, मेंढक, जलीय सांप, घोंघे और अन्य छोटे पक्षियों का शिकार कर सकता है। संक्षेप में, काली गर्दन वाला सारस एक बड़े, स्वस्थ दलदल का प्रतीक है, जैसे कि बाघ एक स्वस्थ जंगल का प्रतीक है। यह पक्षी अब अपने अधिकांश पुराने निवास क्षेत्र में विलुप्त हो चुका है। यही कारण है कि इस पक्षी को IUCN की रेड लिस्ट में "लगभग संकटग्रस्त" (NT) के रूप में वर्गीकृत किया गया है।

स्वस्थ दलदली और आर्द्रभूमि का कम होना और विनाश होना , अत्यधिक मछली पकड़ना, जल प्रदूषण, निर्माण गतिविधियाँ, बाढ़ के मैदानों का संशोधन और कृषि, खनन और मानव बस्ती के लिए बड़े खेती के इलाके बनाने से इस राजसी पक्षी के लिए उपलब्ध आवास क्षेत्र कम हो गए हैं। कुछ देशों में, यह अभी भी इसे व्यापारिक उद्देश्यों के लिए पकड़ा जाता है, क्योंकि यह चिड़ियाघर में प्रदर्शित किए जाने वाला लोकप्रिय पक्षी है। इस प्रकार, हमारा मुख्य प्रयास प्राकृतिक आर्द्रभूमि को मानव के अत्यधिक उपयोग एवं प्रयोग करने से बचाने का होना चाहिए, ताकि काली गर्दन वाले सारंग जैसे पक्षी जंगल की प्राकृतिक परिस्थितियों में जीवित रह सकें। हमें इसकी आबादी की निगरानी करने की भी जरूरत है, और जिस तरह से वह रहता है उसका प्रभावी और समय पर संरक्षण के उपाय करने के लिए शोध कार्य करना चाहिए। चूंकि इस लम्बे पक्षी को अच्छी अछूती, स्वस्थ आर्द्रभूमि की आवश्यकता होती है, जिसमें बहुत सारे शिकार और प्रजनन के लिए स्थान हो। इसकी उपस्थिति एक आर्द्रभूमि के स्वास्थ्य का निर्णय करने के लिए सबसे अच्छे मापदंडों में से एक है। वास्तव में, यह निष्कर्ष निकाला जा सकता है कि प्रतीकात्मक रूप से जिस तरह से बाघ को स्वस्थ जंगल का प्रतीक माना जाता है उसी प्रकार काली गर्दन वाले सारंग को "आर्द्रभूमि के बाघ" के रूप में देखा जा सकता है।
Ecological niche - 
           Wetlands are one of the most threatened and venerable of all ecosystems in India. Loss of vegetation, draining and drying of shallow wetlands, salinization, excessive inundation, water pollution, invasive species, excessive development and road building, have all damaged the country's wetlands. As we know that black-necked stork bird is territorial, and needs a of lot space, and resides only in healthy undisturbed freshwater wetlands, such as floodplains of rivers with healthy large shallow swamps or large marshland. black-necked stork is shy and secretive and despite living in vast, throbbing marshes only 5-6 pairs of black-necked storks is found in about 10 square KM area, it is widely scattered and nowhere found in high densities. Each pair living 1000-1500 meter apart from the other, thus imagine for an untouched marshy land of 100 square KM (which seems to be not possible in current situation in India, there are only few such large wetlands excluding permanent water-logged area) we can find not more than 250 individuals. It is estimated that Sri Lankan population has been limited to be about 50 birds only, while this bird species has become very rare in Thailand, Myanmar, Laos and Cambodia. Also, territorial fights are common between the pairs, with each defending its territory and chasing away trespassers. When a pair is formed, it defends its territory, as it requires lots of food to raise its 2-4 young ones. This large bird was generally not found in small wetlands where other plebeian species may occur. Like a king, the grand bird needs a lot of space, where it can prey upon fish, frogs, aquatic snakes, snails, and other birds. In short, the black-necked stork is a symbol of a large, healthy marsh just as the tiger is the symbol of a healthy forest. This bird is now extinct throughout much of its old habited area. That’s why this bird is classified as nearly threatened (NT) in IUCN red list.
         Destruction and deterioration of marsh and wetlands, overfishing, and pollution, construction activities, modification of floodplains and making large reed beds for agriculture, mining and human settlement have all decreased the habitat available to this majestic bird. In some countries, it is still caught for trading purposes, as it is a popular zoo exhibit. Thus, our main effort must be to protect the natural wetlands from human overuse, so that birds like the black-necked stork can survive in the wild. We also need to monitor its population, and do research work to follow the way it lives, and to take effective and timely conservation measures. As this tall bird requires good untouched, healthy wetlands with plenty of prey, and breeding places its presence is one of the finest parameters to judge the health of a wetland. Indeed, it can be concluded that symbolically the black-necked stork can be seen as the “tiger of wetlands”.
काली गर्दन वाला सारंग या लोहा-सारंग या बनारस जांघिल, कार्बेट राष्ट्रीय उद्यान उत्तराखंड
Black-necked Stork, Corbett National Park, Uttarkhand, India

सांस्कृतिक पहलू:
        मीरशिकार का अर्थ है 'शिकार करने वाले दल का नेता'। मीर शिकार एक मुस्लिम समुदाय है, जो प्रायः उत्तर भारत में बिहार एवम् उत्तरप्रदेश के निवासी हैं, और पारंपरिक रूप से पक्षीयों के शिकारी हैं और पक्षियों को जीवित पकड़ने का काम भी करते थे। पंछी प्रेमी (बर्डमैन) अली हुसैन जो मूल रूप से गांव मझौल, जिला बेगूसराय, बिहार का रहने वाले थे, इस समुदाय से संबंधित है । वे एक आदर्श उदाहरण है कि कैसे शिकारी के ज्ञान का संरक्षण के लिए उपयोग किया जा सकता है । उन्होंने केवलादेव राष्ट्रीय उद्यान (पूर्व में भरतपुर पक्षी अभयारण्य के रूप में जाना जाता था) के लिए भारत के प्रसिद्ध पक्षी प्रेमी डॉ सालीम अली के साथ काम किया गया है । उन्होंने संरक्षण प्रयासों के लिए संयुक्त राज्य अमेरिका, जापान और भारत के कई स्थानों का भी दौरा किया । पंछियों को पकड़ने की (बर्ड ट्रैपिंग) उनकी अनूठी तकनीक को मिसिसिपी सैंडहिल क्रेन नेशनल वाइल्डलाइफ रिफ्यूज, यूएसए द्वारा सुरक्षित तकनीक के रूप में स्वीकार किया गया, और सरकार और गैर सरकारी संगठनों द्वारा कई पुरस्कार भी उन्हें प्रदान किए गए हैं । उन्होंने अपनी क्लैप-ट्रैप और नोज-ट्रैप तकनीकों का प्रदर्शन किया और मिसिसिपी की सैंडहिल क्रेन आबादी के 10% पंछियों को पकड़ने में मदद की । मीरशिकार समुदाय के लोग, उत्तरी भारत के पारंपरिक पक्षी शिकारी हुआ करते थे, उनके यहां एक प्रथा के अनुसार किसी भी युवा व्यक्ति को शादी करने से पहले अपने कौशल को साबित करने के लिए एक काले गर्दन वाले सारंग "लोहा सारंग" को जीवित पकड़ने की शर्त होती थी । यह प्रथा वर्तमान में प्रचलन में नहीं है, 1920 के दशक में इस प्रथा को निभाने के दौरान एक युवक के मारे जाने के बाद इस पर रोक लगा दिया गया था।

Cultural aspects:
           The Mirshikar meaning ‘leader of a hunting party’. They are a Muslim community, found in North India who were traditionally bird hunters and trappers of birds. Birdman Ali Hussain is originally from Village Majhaul, District Begusarai, Bihar belongs to this community is a perfect example of how knowledge of hunter can be utilised for conservation. He has been worked for the Keoladeo National Park (Formerly known Bharatpur Bird Sanctuary) with bird man of india Dr. Saalim ali. He also visited USA, JAPAN and many places of India for conservation efforts. His unique technique of Bird Trapping has been renowned by Mississippi Sandhill Crane National Wildlife Refuge, USA and got many awards by Government and NGOs. He demonstrated his clap-trap and noose-trap techniques and helped capture 10% of the sandhill crane population of Mississippi. The Mirshikars community, traditional bird hunters of northern, India had a ritual practice that required a young man to capture a black-necked stork "Loha Sarang" alive to prove his skills before he could marry. The ritual was not in practice at present, it was stopped in the 1920s after a young man was killed in the process.

रामसर स्थल या रामसर साइट
      ईरान का एक शहर है "रामसर" परंतु विश्व की हर देश में होते हैं रामसर स्थल या रामसर साइट | रामसर संधि सन 1971 में ईरान के रामसर शहर में जैव विविधता के संरक्षण पर हुए सम्मेलन में आद्रभूमि या जलमय (वेटलैंड्स) भूमि के संरक्षण पर हुआ अंतरराष्ट्रीय समझौता है। जिसका उद्देश्य दुनिया में महत्वपूर्ण सभी आर्द्रभूमि का अंतर्राष्ट्रीय सहयोग के माध्यम से संरक्षण और उचित उपयोग करना तथा पारिस्थितिकी तंत्र में आद्र भूमि वेटलैंड्स के महत्व को बनाए रखना है।
     जब किसी आर्द्रभूमि (वेटलैंड) को रामसर साइट घोषित कर दिया जाता है तो उसे बहुत ही कड़े दिशा-निर्देशों के तहत संरक्षित किया जाता है | आर्द्र भूमि (Wetland) एक ऐसी जगह है जहां जमीन पानी से ढकी होती है अथवा छीछला कम गहराई वाला पानी होता है। तालाब, झील, नदी का डेल्टा या समुद्र का किनारा, जो निचले इलाके बाढ़ से ग्रसित रहते है, तथा लगभग वर्षभर उथले पानी में डूबे रहते हैं उन जगहों को आर्द्रभूमि ( वेटलैंड) कहते है | ऐसी जगहें जहाँ दलदली गीली मिट्टी पाई जाती है उनको भी वेटलैंड की श्रेणी में डाला गया है| वेटलैंड हमारे लिए इसलिए जरुरी है क्योंकि ये प्राकृतिक संसाधनों और क्रियाओं का महत्वपूर्ण स्त्रोत है जैसे कि अनेक प्रजातियों के लिए भोजन, भूजल स्तर बढ़ाना (रिचार्जिंग), जल शोधन, बाढ़ से बचाव, भूमि कटाव नियंत्रण और जलवायु नियंत्रण कर जलवायु परिवर्तन ( क्लाइमेट चेंज) के प्रतिकूल प्रभाव को कम करना, भू जैव रसायन चक्र (बायो कैमिकल साइकिल) का नियंत्रण करना। मीठे पानी की आपूर्ति भी आर्द्रभूमि से होती है| ये भूजल को सोखकर उसके पुनर्भरण (रिचार्जिंग) में मदद करतें हैं।
     वेटलैंड्स पर स्थानीय एवं प्रवासी पक्षियों की हज़ारों प्रजातियां अपना बसेरा बनाती हैं | जब इस धरती के उत्तरी भाग में ठण्ड बढ़ती है, कई इलाके हिम आच्छादित हो जाते हैं, तो वहां खाना और पानी की कमी हो जाती है | उस वक़्त वहां से पक्षी दक्षिण की ओर प्रवास शुरू कर देते हैं, और कुछ माह के लिए इन रामसर स्थलों पर शरण लेते हैं । आज सारे विश्व में लगभग 2400 से भी अधिक रामसर स्थल (साइट्स) है, जो सारी धरती के 20 लाख वर्ग किमी से भी ज्यादा में फैली हुई है | ऑस्ट्रेलिया के कोबॉर्ग प्रायद्वीप को दुनिया का पहला रामसर स्थल 1974 में घोषित किया गया था।
       सबसे अधिक 175 रामसर स्थलों वाला देश यूनाइटेड किंगडम और उसके बाद 142 रामसर स्थल मेक्सिको में हैं। दुनिया की सबसे बड़ी रामसर साइट्स 65,000 वर्ग किमी के साथ रिपब्लिक ऑफ कांगो देश का निगरी तुम्बा इलाका है।भारत की सबसे बड़ी रामसर स्थल (साइट) उड़ीसा की चिलिका झील है| इसका क्षेत्रफल लगभग 116500 हेक्टेयर है| केवलादेव नेशनल पार्क (राजस्थान) और चिलिका झील (ओडिशा) भारत की पहली रामसर साइट थ हैं| वर्तमान में भारत में ४६ रामसर साइट हैं| मोएनट्रेक्स रिकॉर्ड (Montreux Record) आर्द्रभूमि (वेटलैंड साइटों) की एक सूची है जो अंतर्राष्ट्रीय महत्व के वेटलैंड्स हैं जहां पारिस्थितिक तंत्र में परिवर्तन हुए हैं, या हो रहे हैं, या तकनीकी विकास, प्रदूषण या अन्य मानव हस्तक्षेप के परिणामस्वरूप होने की संभावना है | इसे रामसर सूची के एक भाग के रूप में बनाया गया है। विश्व वेटलैंड्स दिवस हर साल 2 फरवरी को वेटलैंड्स के संरक्षण पर ईरान के रामसर शहर में हुए सम्मेलन को चिन्हित करने के लिए मनाया जाता है।

टीप- इस ब्लॉग की तस्वीरें एवं लेख पक्षियों की निजता में बाधा बने बिना, उचित छलावरण का उपयोग करते हुए, मेरे 12 वर्षों के दृढ़ संकल्पित प्रयासों, बर्डवॉचिंग और जंगल रहने के दौरान किए गए अवलोकन एवं पंछियों पर विभिन्न पुस्तकों से प्रेरित हैं।


NOTE- The observations were made from a safe hide-out with proper camouflaged clothing and ambience. A considerable distance from the nest was maintained to avoid disturbances during observation. These photographs are collected and observations were made during my 12 years of immense efforts and birdwatching and roaming in the wild.

Sk gupta, B37, Madhuban colony, Amlidih, Raipur, Chattisgrah, 492001
+91 7000976901, 9406030683
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पक्षियों का रात के समय (रात्रिकालीन) प्रवास NIGHT or NOCTERNAL MIGRATION OF BIRDS

चीन और तिब्बत से आने वाली शीतकालीन प्रवासी और रात्रि में प्रवास करने वाली "डेजर्ट व्हीटियर फीमेल" नवा रायपुर के चेरिया झील के पास...